जो बीत गयी सो बात गयी ....
जो बीत गयी सो बात गयी ....
जीवन में इक सितारा था , मांना वह बेहद प्यारा था॥
वह डूब गया तो डूब गया॥
अम्बर के आनन को देखो , कितने इसके तारे टूटे, कितने इसके प्यारे छूटे
जो छूट गए फ़िर कहाँ मिलें... पर बोलो टूटे तारों पर अम्बर कब शोक मनाता हैं
जो बीत गयी सो बात गयी ....
जीवन में वह था इक कुसुम, थे उसपर नित्य निछावर तुम
वह सूख गया तो सूख गया ...
मधुवन की छाती को देखो ॥ सूखी कितनी इसकी कालिया देखो, मुरझाई कितनी कलियाँ
जो मुर्झार्यीं फ़िर कहाँ खिली
पर बोलो सूखे फूलों पर कब मधुवन शोर मचाता हैं ...
जो बीत गयी सो बात गयी ....
जीवन में मधु का प्याला था, तुमने तन मांना दे डाला था
वह टूट गया तो टूट गया
मदिरालय का आगन देखो ॥ कितने प्याले हिल जाते हैं, गिर मिट्टी में मिल जाते हैं
जो गिरते हैं कब उठते हैं
पर बोलो टूटे प्यालों पर कब मदिरालय पछताता हें
जो बीत गयी सो बात गयी ....
म्रदु , मिट्टी के हैं बने हुये मधु घट फूटा ही करते हें ...
लघु जीवन लेकर आए हैं , प्याले टूटा ही करते हैं
फ़िर भी मदिरालय के अंदर, मधु के घट हैं , मधु प्याले हैं ...
जो मादकता के मारे हैं , वे मधु लूटा ही करते हैं
वह कच्छा पीने वाला हैं जिसकी ममता घट प्यालों पर
जो सच्चे मधु से जला हुआ कब रोता हें चिल्लाता हें
जो बीत गयी सो बात गयी ....
लेखक -> बच्चन जी ..